लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2773
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-

विकासशील देशों के संदर्भ में मौद्रिक नीति के उद्देश्यों पर विचार करते हुए डॉ० पी०डी० हजेला का कहना है कि जैसा हम जानते हैं कि मौद्रिक नीति से अभिप्राय उन नियमों से है जिनसे किसी देश की सरकार तथा केन्द्रीय बैंक उस देश की आर्थिक नीति के सामान्य उद्देश्यों को पूरा करते हैं मौद्रिक नीति के अपने स्वयं के उद्देश्य नहीं बल्कि यह तो सामान्य आर्थिक नीति की सहायिका मात्र है।

सामान्य मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार के होते हैं :

1. रोजगार की स्थायी एवं उच्चस्तरीय स्थिति बनाये रखना।
2. मूल्यों में स्थायित्व बनाये रखना।
3. भुगतान सन्तुलन की संतोषजनक स्थिति बनाये रखना।
4. आर्थिक विकास को अधिकतम करना।
5. आय में स्थिरता लाना।

1. रोजगार की स्थायी एवं उच्चस्तरीय स्थिति बनाये रखना (Maintenance of a high of stable level of Employment) - पूर्ण रोजगार की स्थिति को प्राप्त करना मौद्रिक नीति का प्रमुख उद्देश्य होता है। कीन्स ने भी उक्त उद्देश्य को पूरा करने के लिए मौद्रिक नीति के अनुसरण पर जोर दिया था। पहले इस सम्बन्ध में सरकार अपनी कोई खास जिम्मेदारी नहीं समझती थी परन्तु 1956 में जारी किये गये श्वेतपत्र के आधार पर सरकार ने रोजगार को उच्च स्तर पर बनाये रखना अपनी जिम्मेदारी महसूस की। उच्चस्तरीय रोजगार बनाये रखने में मौद्रिक नीति किस प्रकार सहायक होती है? (How is Monetary Policy helpful in maintaining full employment? ) प्रो० लर्नर के अनुसार पूर्ण रोजगार का अर्थ उस अवस्था से लगाया जाता है। जबकि प्रचलित दर पर बगैर किसी विशेष असुविधा के कार्य के लिए इच्छुक व्यक्तियों को कार्य मिल जाती है। विकासशील अर्थव्यवस्था में रोजगार का गुणक ऊँचा रहता है। अतः कीन्स द्वारा इस तरह की अर्थव्यवस्था के लिए उदार मुद्रा नीति का अनुसरण करने पर जोर दिया गया। सस्ती पूँजी उपलब्ध होने से नई औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित होंगी फलस्वरूप नये लोगों के लिए रोजगार के अवसर सुलभ होंगे। केन्द्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर कम कर देने से साख सस्ता हो जायेगा, लोग व्यापारिक बैंकों से अधिक उधार लेना शुरू कर देंगे। नये-नये उद्योग खुलेंगे, व्यवसाय अथवा व्यापार का विस्तार होगा, लोगों को रोजगार मिलेगा उनकी आय बढ़ेगी, वस्तुओं तथा सेवाओं की माँग बढ़ेगी। अर्थात् प्रभावपूर्ण माँग में वृद्धि होगी। सभी साधनों को रोजगार मिलेगा, पूर्ण रोजगार की स्थिति कायम होगी। प्रभावपूर्ण माँग के निर्धारक तत्व उपभोग वस्तुओं की विनियोग तथा वस्तुओं की माँग है। अतः सम्पूर्ण माँग में वृद्धि के लिए इन दोनों में वृद्धि करनी होगी। उपभोग का सीमान्त प्रवृत्ति प्रभावित होती है। यह आय पर निर्भर करती है जबकि विनियोग की दर पूँजी की सीमान्त उत्पादकता (MEC) तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती है। सस्ती मुद्रा नीति अपनाकर विनियोग दर को बढ़ाया जा सकता है।

मंदी की स्थिति में बेरोजगारी अधिक रहती है। उपभोग की अपेक्षा विनियोग काफी घट जाते हैं। ऐसी दशा में विनियोग को बढ़ाकर उपभोग को प्रभावित किया जा सकता है। परन्तु मंदी की दशा में केवल मुद्रा - प्रसार एवं सस्ती मुद्रा नीति ही विनियोग को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त नहीं होती क्योंकि उत्पादकों का भविष्य अंधकारमय बना रहता है। ये शीघ्र विनियोग बढ़ाना उचित नहीं समझते। अतः ऐसी दशा में सरकार को अपने विनियोग को बढ़ाना होता है और ये वित्तीय नीति के माध्यम से अपने विनियोगों को बढ़ाती है। घाटे की वित्त व्यवस्था अपनाकर सरकार अपने विनियोग को बढ़ाकर बेकार साधनों को रोजगार में लगाती है। इन साधनों की आय बढ़ती है, इससे अन्य वस्तुओं की माँग बढ़ती है। फलस्वरूप अन्य उद्योगों में रोजगार बढ़ता है। कुछ समय बाद राष्ट्रीय आय तथा रोजगार दोनों में वृद्धि होती है। इन दोनों में वृद्धि के फलस्वरूप विनियोग में वृद्धि की जो प्रवृत्ति होती है उसे त्वरण (Acceleration) कहा जाता है। सरकारी विनियोग में वृद्धि के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आय तथा रोजगार में किस गति से वृद्धि होती है। वह गुणक के परिमाण पर निर्भर करता है। गुणक का परिणाम समाज की सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। गुणक का परिमाण जितना ही अधिक होगा। रोजगार का स्तर उतना ही ऊँचा होगा। घाटे की वित्त- व्यवस्था की नीति की सफलता के लिए समाज में आशावादी मनोवृत्ति होनी चाहिए तथा विनियोग के लिए पर्याप्त रूप में अवसर उपलब्ध रहना चाहिए। मौद्रिक नीति से केवल ब्याजदर नियंत्रित हो सकती है। ब्याज की दर के अतिरिक्त विनियोग पुँजी की सीमान्त उत्पादकता पर निर्भर होती है जिसका मुनाफा से निकटतम सम्बन्ध रहता है और मौद्रिक नीति मुनाफे को नियंत्रित नहीं कर सकती अतः केवल मौद्रिक नीति से विनियोग वृद्धि संभव नहीं हो सकता। बेकारी को दूर करने में मौद्रिक तथा राजकोषीय नीति का सम्मिलित प्रयोग जरूरी होता है।

2. मूल्यों में स्थायित्व बनाये रहना (Maintenance of Price stability ) - कीमतों में उतार-चढ़ाव के पाये जाने से अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता तथा अस्थिरता का वातावरण पैदा हो जाता है। मुद्रास्फीति से कुछ को लाभ होता है तथा कुछ को हानि होती है। कीमतों में स्थिरता होने से मुद्रा का मूल्य भी स्थिर रहता है। स्थिर कीमतों से चक्रीय उच्चावचन को दूर किया जा सकता है, आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सकती है, आय तथा सम्पत्ति की असमानता को दूर किया जा सकता है सामाजिक न्याय स्थापित करके आर्थिक कल्याण में वृद्धि की जा सकती है। अतः कीमतों में स्थिरता बनाये रखना मौद्रिक नीति का प्रमुख उद्देश्य होता है। कीमतों में स्थिरता बनाये रखने का कदापि यह अर्थ नहीं होता है कि इनमें अनिश्चित काल तक कोई परिवर्तन न हो। सच तो बात यह है कि कीमतों में स्थिरता सदैव होती ही नहीं। लोगों की रुचि, माँग में परिवर्तन तथा उत्पादन विधियों में तकनीकी परिवर्तन होने से कीमतों में परिवर्तन होता रहता है। अर्थव्यवस्था में साधनों के उचित आवंटन के लिए भी कीमतों में भेदभाव (Differential ) परिवर्तन आवश्यक होता है। उत्पादन लागत में परिवर्तन होने पर कीमतों में परिवर्तन अवश्य होता है। कीमतों में मामूली परिवर्तन एक तरह से स्थायित्व कीमत के समान ही है। सेम्युलसन तथा कीन्स महोदय ने यह कहा कि 2% वार्षिक मुद्रा स्फीति उद्यमियों को प्रोत्साहित करने तथा उच्चस्तरीय रोजगार की प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।

स्थिर कीमत नीति का अनुपालन करने में कुछ कठिनाइयाँ अवश्य आती हैं जैसे प्रश्न यह उठता है किस प्रकार की कीमतों में स्थिरता लाई जाय थोक कीमत को, उपभोक्ता कीमत को, उत्पादक वस्तुओं के सामान्य कीमत को अथवा सापेक्ष कीमतों को। इस सम्बन्ध में प्रो० हाम (Halm) का कथन है कि उक्त समस्या का समाधान उपभोक्ता वस्तु की कीमतों एवं मजदूरी की दरों में स्थिरता लाकर किया जा सकता है। एक अन्य समस्या यह है कि यदि कीमतों को स्थिर भी कर दिया जाय तो सम्भव है इससे नवप्रवर्तन के फलस्वरूप उत्पादन लागत घट जाय एवं उत्पादकों को भारी लाभ हो तथा उपभोक्ताओं को अत्यधिक कष्ट सहना पड़े। दूसरी तरफ यदि उत्पादक वस्तुओं में प्रयुक्त कच्चे माल का आयात किया जाता है तथा उसका मूल्य बढ़ जाता है तो घरेलू उत्पादक लागत बढ़ जाती है। ऐसी दशा में स्थिर कीमत रहने से लाभ की मात्रा का गिरना स्वाभाविक है। इससे विनियोग हतोत्साहित होगा। स्थिर कीमत नीति से असमानता होगी और आर्थिक प्रगति भी प्रतिकूल ढंग से प्रभावित होगी। अतः हम कह सकते हैं कि स्थिर कीमत की नीति सदैव वांछनीय नहीं होती। कीमतों में थोड़ी-सी वृद्धि आर्थिक विकास के लिए आवश्यक होती है। प्रो० हेयक (Hayck) का यह कहना है कि मूल्य स्थिरता का धारण एक गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल नहीं होती है।

3. भुगतान संतुलन की संतोषजनक स्थिति को बनाये रखना (Importance of the policy of a favourable balance of payments) - भुगतान क्षेत्र में संतुलन बनाये रखना मौद्रिक नीति का प्रमुख लक्ष्य होता है। भुगतान संतुलन प्रतिकूल होने पर मुद्रा की विनिमय दर में अस्थिरता पैदा हो जाती है जिससे विदेशी लेन-देन में अनेक कठिनाइयाँ उठ खड़ी होती हैं। वास्तव में जिन देशों में विनिमय दर में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है उसका विदेशी व्यापार खतरे में होता है भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने पर विदेशी विनिमय की आय कम हो जाती है जिससे आवश्यक मशीनें तथा पूँजीगत माल का आयात करना कठिन हो जाता है जिनका देश के आर्थिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उपरोक्त तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए भुगतान संतुलन को उचित स्तर पर बनाये रखना आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार मौद्रिक नीति का प्रयोग विनिमय दर में स्थायित्व लाने तथा भुगतान संतुलन को उचित स्तर पर बनाये रखने के लिए आवश्यक होता है। जब हम भुगतान शेष को बनाये रखने के लिए मौद्रिक नीति के उद्देश्यों पर विचार करते हैं तो यह समस्या उठ खड़ी होती है कि एक देश के भुगतान शेष का क्या लक्ष्य होना चाहिए। सामान्यतः आयात-निर्यात में संतुलन होना चाहिए किन्तु जिस देश का विदेशी विनिमय कोष अपर्याप्त है तो उसका लक्ष्य यह होता कि आयात की तुलना में निर्यात अतिरेक (Export surplus ) हो।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
  3. प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
  4. प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
  5. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
  7. प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
  9. प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
  11. प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
  12. प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
  13. प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
  14. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
  16. प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
  18. प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  20. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
  22. प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
  25. प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
  26. प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
  28. प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
  29. प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
  31. प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
  32. प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
  33. प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
  35. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  39. प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
  42. प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
  43. प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
  45. प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
  46. प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
  47. प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
  48. प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
  49. प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
  50. प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
  52. प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  53. प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
  54. प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
  55. प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
  56. प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
  57. प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
  58. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
  60. प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
  62. प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  63. प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
  64. प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  66. प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
  67. प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
  69. प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
  70. प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
  72. प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
  73. प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
  74. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
  75. प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
  76. प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
  78. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
  82. प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
  83. प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
  84. प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
  85. प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
  86. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
  88. प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
  89. प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
  90. प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
  91. प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
  92. प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
  96. प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
  98. प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
  101. प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
  102. प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
  103. प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  105. प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
  107. प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
  109. प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
  110. प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  111. प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
  113. प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
  115. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
  119. प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
  120. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
  123. प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
  124. प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
  127. प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  129. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
  130. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
  131. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
  132. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
  134. प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
  135. प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
  136. प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
  137. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book